Google Search

h

Search

Already a Member ?

Blog

लघु उद्योग शुरू करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्रप्राप्त करने संबंधी नियम-प्रक्रि या

Saturday, September 23, 2017

facebook twitter Bookmark and Share

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल ;प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 के अन्तर्गत सितम्बर, 1974 में किया गया था। इसके पश्चात केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु ;प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 के अन्तर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गये।

यह क्षेत्र निर्माण के रूप में कार्य करता है तथा पर्यावरण ;सुरक्षा अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अन्तर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएं भी उपलब्ध करता है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्य जल ;प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 तथा वायु ;प्रदूषण निवारण एवं नियंत्राण अधिनियम, 1981 में व्यक्त किये गये हैं। ;

1.       जल प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण द्वारा राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में कुओं और सरिताओं की स्वच्छता को सुधारना तथा ;

2.      देश में वायु प्रदूषण के निराकरण अथवा नियंत्रण, निवारण के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार लाना।

वायु गुणवत्ता प्रबोधन वायु गुणवत्ता प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण अंग है। राष्ट्रीय वायु प्रबोधन कार्यक्रम ;रा.व.प्र.का. की स्थापना वर्तमान वायु गुणवत्ता की स्थिति और प्रवृत्ति को सुनिश्चित करने तथा उद्योगों और अन्य स्रोतों के प्रदूषण को नियमित कर नियंत्रित करने तथा वायु गुणवत्ता मानकों के अनुरूप रखने के उद्देश्य से की गई है। यह औद्योगिक स्थापना तथा शहरों की योजना तैयार करने के लिए अपेक्षित वायु गुणवत्ता के आंकड़ों की पृष्ठभूमि भी उपलब्ध कराता है।

इसके अलावा केन्द्रीय बोर्ड का नई दिल्ली स्थित आई.टी.ओ. चैराहे पर एक स्वचालित प्रबोधन केन्द्र भी है। इस केन्द्र पर श्वसन निलम्बित विविक्त कण, कार्बन मोनो ऑक्साइड, ओजोन, सल्पफर डायोक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड तथा निलम्बित विविक्त कण भी नियमित रूप से प्रबोधित किये जा रहे हैं। आई.टी.ओ. की वायु गुणवत्ता पर सूचना प्रत्येक सप्ताह अद्यतन की जाती है।

स्वच्छ जल खेती-बाड़ी, उद्योग में प्रयोग के लिए वन्य जीवन तथा मत्स्य पालन के प्रजनन तथा मानव के आस्तित्व के लिए एक चिर स्थाई संसाधन आवश्यक है। भारत नदियों वाला देश है। यहां 14 प्रमुख नदियों, 33 मझोली नदियों और 55 छोटी नदियों के अलावा कापफी संख्या में झीलें, तालाब तथा कुएं हैं, जिनका प्रयोग प्राथमिक रूप से बिना उपचार किये पीने के लिए किया जाता है। सामान्य तौर पर अधिकतर नदियां मानसून के दौरान से भरी रहती हैं जो वर्ष के केवल तीन माह तक सीमित रहती है, प्रायः शेष समय में ये सूखी ही रहती है और उद्योगों अथवा शहरों/कस्बों से विसर्जित अपशिष्ट जल ही ले जाती है, जो हमारे सीमित जल संसाधनों की गुणवत्ता को खतरे में डालती है। भारतीय संसद ने हमारे जल निकायों की स्वास्थ्यप्रदत्ता को बरकरार रखने तथा सुरक्षित रखने के विचार से जल ;प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 बनाया। जल प्रदूषण से संबंधित तकनीकी तथा सांख्यिकीय आंकड़ों को एकत्रा करना, मिलाना तथा उसका प्रसारण करना केन्द्रीय बोर्ड का एक अधिदेश है। इसलिए जल गुणवत्ता का प्रबोधन तथा निगरानी इसकी सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि है।

बोर्ड का कार्यक्षेत्रा और अधिक व्यापक हो गया। वर्तमान में बोर्ड निम्नलिखित अधिनियमों के दायित्व का निर्वहन कर रहा है:

            1.         जल ;प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम, 1974

            2.         जल ;प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण उपकर अधिनियम, 1977

            3.         वायु ;प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम, 1981

            4.         पर्यावरण ;संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत

            4.1       परसंकटमय अपशिष्ठ ;प्रबंधन एवं हथालन नियम, 1989

            4.2       परिसंकटमय रसायनों का विनिर्माण, भंडारण और आयत नियम, 1989

            4.3       जैव चिकित्सा अपशिष्ठ ;प्रबंधन एवं हस्तन नियम, 1998

            4.4       नगरी ठोस अपशिष्ठ ;प्रबंधन एवं हथालन नियम, 2000

            4.5       बैटरी ;प्रबंधन और हथालन नियम, 2001

उद्देश्य

बोर्ड का मुख्य उद्देश्य राज्य बोर्ड की गतिविधियों को समन्वित करना और उनके बीच विवादों को सुलझाना है तथा जल स्रोतों एवं वायु गुणवत्ता पर सतत् निगरानी रखना व उसको स्वच्छ बनाये रखना है। पर्यावरण के सुधार के क्षेत्रा में सतत् अनुसंधान हेतु बोर्ड मुख्यालय में विभिन्न आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित राज्य स्तरीय अनुसंधान एवं विकास केन्द्र हैं ।

जल ;प्रदूषण का निवारण और नियंत्रण अधिनियम, 1974 तथा वायु ;प्रदूषण का निवारण और नियंत्रण अधिनियम, 1981 में अंतर्गत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य कार्य ;सीपीसीबी इस प्रकार हैं:

            1.         रोकथाम और नियंत्रण के माध्यम से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में नदियों और कुओं की सफाई को बढ़ावा देना ।

            2.         देश में वायु प्रदूषण रोकने या नियंत्रित करने के लिए हवा की गुणवत्ता में सुधार करना ।

            3.         केन्द्र सरकार को जल और वायु प्रदूषण के नियंत्रण और रोकथाम से संबंधित किसी भी विषय पर सलाह देना और हवा की गुणवत्ता में सुधार करना ।

            4.         जल और वायु प्रदूषण के नियंत्रण या रोकथाम के कार्यक्रम में लगे व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करना ।

            5.         जनसंपर्क माध्यम से जल और वायु प्रदूषण में कमी, रोकथाम या नियंत्रण पर एक व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना ।

            6.         जल एवं वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के लिए व्यापक कार्यक्रम की योजना बनाना तथा उसके निष्पादन को सुनिश्चित करना ।

            7.         जल एवं वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन से संबंधित जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार करना ।

            8.         जल एवं वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन की समस्याओं से संबंधित अन्वेषण और अनुसंधान को बढ़ावा देना, उनका संचालन करना और उसमें भाग लेना ।

            9.         मल या व्यावसायिक बहिःस्राव की अभिक्रिया के लिए संकर्म एवं संयंत्रों का निरीक्षण करना ।

            10.       वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए ऐसे अंतरालों पर जैसा आवश्यक समझे ऐसे क्षेत्रों का निरीक्षण करना ।

            11.       जल एवं वायु प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन से सम्बंधित किसी विषय पर राज्य सरकार को सलाह देना

            12.       केन्द्रीय बोर्ड से परामर्श करके केन्द्रीय बोर्ड तथा वायु की गुणवत्ता के लिए अधिकथित मानकों को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक संयंत्रों और मोटर गाड़ियों से वातावरण में वायु प्रदूषणकारी के उत्सर्जन अथवा अन्य किसी स्रोत से जो जहाज अथवा वायुयान न हो, वातावरण में वायु प्रदूषणकारी के निस्सारण के लिए मानक अधिकथित करना

            13.       मल एवं व्यावसायिक बहिःस्राव की अभिक्रिया की मितव्ययी और विश्वसनीय प्रतियां निकालना

            14.       कृषि में मल और उपयुक्त व्यावसायिक बहिःस्रावों के उपयो की प्रतियां विकसित करनाऋ

            15.       भूमि पर मल और उपयुक्त व्यावसायिक बहिःस्रावों के व्ययन की दक्ष प्रतियां विकसित करना

16.       सरिताओं या कुँओं में अपशिष्ट के निस्सारण के निवारण, नियंत्रण या उपशमन के आदेश करना, उसमें उपंतरण करना या उसे वापस लेना

            17.       राज्य सरकार को किसी ऐसे उद्योग के परिसर अथवा अवस्थान के बारे में सलाह देना, जिसके चलाये जाने से वायु प्रदूषण अथवा सरिता कुएँ का प्रदूषण संभाव्य है

            18.       सरिता या कुएँ के जल से नमूनों का अथवा मल या व्यावसायिक बहिःस्राव के नूमनों का विश्लेषण कराने के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित करना एवं ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना, जो केन्द्रीय बोर्ड या राज्य सकरार द्वारा विहित किए जाएं या उसे समय-समय पर सौंपे जायें।

उद्योगों की स्थापना हेतु प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड से अनुमति

ऐसे उद्योग जिनसे पर्यावरण प्रदूषण की संभावना होती है उन्हें बोर्ड से अनुमति/अनापत्ति प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है। ऐसे उद्योगों की सूची संलग्न है।

अनुमति/अनापत्ति प्रमाण-पत्रा प्राप्त करने की क्या प्रक्रिया है

किसी भी उद्यम को बोर्ड से सहमति प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित प्रपत्रों सहित बोर्ड के कार्यालय में आवेदन करना होता है।

            1.         इकाई का साइट प्लान

            2.         ले-आऊट प्लान

            3.         प्रोजेक्ट रिपोर्ट

            4.         संचालकों के नाम व पते

            5.         जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र द्वारा जारी प्रस्तावित पंजीयन अथवा डी.जी.टी.डी. लाइसेंस

            6.         प्रोसेस फ्रलो चार्ट

            7.         जल निस्त्राव एवं इकाई के निकट के नदी अथवा नालों का नक्शा ;उद्योग के नक्शे में वायु उत्सर्जन स्रोतों के बिुदंओं सहित

 8.        दूषित जल शोधन संयंत्रा का प्रस्ताव/वायु प्रदूषण नियंत्राण संयंत्रा का प्रस्ताव

            9.         टोपोग्रापिफकल नक्शा

            10.       सहमति/नवीनीकरण का ड्राफ्रट

 

See more

http://goo.gl/2KrF8G

http://goo.gl/3857gN

http://goo.gl/gUfXbM     

http://goo.gl/Jf0264    

Contact us:

Niir Project Consultancy Services

106-E, Kamla Nagar, Near Spark Mall,

New Delhi-110007, India.

Email: [email protected], [email protected]

Website :

http://www.niir.org

http://www.entrepreneurindia.co

 

Tags

ऐसे कीजिए कम लागत में लाभकारी व्यवसाय, कम लागत मुनाफा कई गुना, उद्योग जो कम निवेश में लाखों की कमाई दे सकता है, 2017 में शुरू करें कम लागत में ज्यादा मुनाफे वाला बिज़नेस, भारत के लघु उद्योग, लघु उद्योग की जानकारीए लघु व कुटीर उद्योगए लघु उद्योग जो कम निवेश में लाखों की कमाई दे, महिलाओं के लिए लगाएंगे लघु उद्योग, छोटे एवं लघु उद्योग, नया व्यवसाय शुरू करें और रोजगार पायें लघु उद्योग, लघु उद्योग खोलने के फायदे, Top Best Small Business Ideas in India, Business Ideas With Low Investment, How to Get Rich?, Low Cost Business Ideas, Simple Low Cost Business Ideas, Top Small Business Ideas Low Invest Big Profit in India Smart Business Ideas, Very Low Budget Best Business Ideas, स्वरोजगार, लघु कुटीर उद्योग कैसे लगाएं, लघु उद्योग कैसे लगाएं, छोटे.छोटे उद्योग, लघु एवं गृह उद्योग, स्वरोजगार बेहतर भविष्य का नया विकल्प, अमीर बनने के तरीके, अवसर को तलाशें, आखिर गृह और कुटीर उद्योग कैसे विकसित हो,  आप अपना कोई नया व्यवसाय व्यापारकारोबार कम पैसों में खड़ा करें, बड़ा बिजनेस,  कम लागत में बेहतर मुनाफा, कुटीर उद्योग के नाम, नगरीय कुटीर उद्योग, कुटीर उद्योग लिस्ट, ग्रामीण कुटीर उद्योग, कुटीर उद्योग का महत्व, कुटीर उद्योग की सूची, कुटीर उद्योग के नाम, कुटीर उद्योग के प्रकार, स्वरोजगार के कुछ सरल उपाय, स्वरोजगार हेतु रियायती ऋण, स्वरोजगार योजनाओं, स्वरोजगार के लिए कौशल विकास, कम लागत में अधिक फायदेवाला बिजनेस, Small Business But Big Profit in India, Best Low Cost Business Ideas, Small Business Ideas that are Easy to Start,  How to Start Business in India, Top Small Business Ideas in India for Starting Your Own Business, आधुनिक कुटीर एवं गृह उद्योगए, आप नया करोबार आरंभ करने पर विचार कर रहे हैं, उद्योग से सम्बंधित जरुरी जानकारी, औद्योगिक नीति, कम पूंजी के व्यापारए,कम पैसे के शुरू करें नए जमाने के ये हिट कारोबार,कम लागत के उद्योग, कम लागत वाले व्यवसाय, कम लागत वाले व्यवसाय व्यापार, कारोबार बढाने के उपाय, कारोबार योजना चुनें, किस वस्तु का व्यापार करें किससे होगा लाभ, कुटीर उद्योगए,कुटीर और लघु उद्यमों योजनाएं, कैसे उदयोग लगाये जाये, कौन सा व्यापार करे, कौन सा व्यापार रहेगा आपके लिए फायदेमंद, नौकरी या बेरोजगारी से हैं परेशान, Top  Easy Small Business Ideas in India, Small Investment Big Returns, लघु उद्योग, लघु उद्योगों के उद्देश्य, भारतीय लघु उद्योग, लघु उद्योग शुरू करने सम्बन्धी मार्गदर्शन, कम निवेश मे करे बिजनेस खुद का मालिक बने, कम लागत के उद्योग, कम लागत, कम मेहनत और मुनाफा कई गुना, कम लागत में शुरू होने वाला उद्योग, अपना उद्योग


blog comments powered by Disqus



About NIIR

Hide ^

NIIR PROJECT CONSULTANCY SERVICES (NPCS) is a reliable name in the industrial world for offering integrated technical consultancy services. NPCS is manned by engineers, planners, specialists, financial experts, economic analysts and design specialists with extensive experience in the related industries.

Our various services are: Detailed Project Report, Business Plan for Manufacturing Plant, Start-up Ideas, Business Ideas for Entrepreneurs, Start up Business Opportunities, entrepreneurship projects, Successful Business Plan, Industry Trends, Market Research, Manufacturing Process, Machinery, Raw Materials, project report, Cost and Revenue, Pre-feasibility study for Profitable Manufacturing Business, Project Identification, Project Feasibility and Market Study, Identification of Profitable Industrial Project Opportunities, Business Opportunities, Investment Opportunities for Most Profitable Business in India, Manufacturing Business Ideas, Preparation of Project Profile, Pre-Investment and Pre-Feasibility Study, Market Research Study, Preparation of Techno-Economic Feasibility Report, Identification and Selection of Plant, Process, Equipment, General Guidance, Startup Help, Technical and Commercial Counseling for setting up new industrial project and Most Profitable Small Scale Business.

NPCS also publishes varies process technology, technical, reference, self employment and startup books, directory, business and industry database, bankable detailed project report, market research report on various industries, small scale industry and profit making business. Besides being used by manufacturers, industrialists and entrepreneurs, our publications are also used by professionals including project engineers, information services bureau, consultants and project consultancy firms as one of the input in their research.

^ Top