2019 के कम पूँजी वाले बेहतरीन लघु उद्योग
टूथ पाउडर (Tooth Powder)
आजकल संसार भर में दांत के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। अतः दांतों के लिए बाजार में सैकड़ों प्रकार के टूथ पाउडर व माउथवॉश आदि बिकने लगे हैं। इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय टूथ पाउडर है, क्योंकि इनका मूल्य अपेक्षाकृत कम होता है और एक साधारण वित्तीय स्थिति वाला भी खरीद सकता है।
टूथ पाउडर का स्टैन्डर्ड फार्मूला:
यद्यपि भारत व विदेशों में दैनिक प्रयोग के लिए विभिन्न प्रकार के दन्त मंजन बनाये जाते हैं। परन्तु इनमें से अधिकांश केवल एक स्टैंडर्ड फार्मूला से ही तैयार किये जाते हैं। निर्माता लोग इसमें साधारण सी उलट-फेर कर देते हैं। कोई इसमें सुगंधित द्रव्य अधिक मिलाता है, कोई निर्माता मीठा रखने के बजाय खाने का पिसा हुआ नमक मिलाकर नमकीन स्वाद का टूथ पाउडर तैयार करता है।
टूथ पाउडर का फार्मूला:
संघटक (Ingredients) | मात्रा (ग्राम में) |
प्रेसिपिटेटिड चॉक (कैल्श्यिम कार्बोनेट) | 100.00 |
हैवी मैगनेशिया कार्बोनेट | 25.00 |
सोपस्टोन पाउडर | 5.00 |
थाइमॉल (सत अजवायन) | 0.60 |
मैथोल | 0.60 |
कपूर | 1.90 |
सैकरीन | 0.30 |
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मशीन और उपकरण
- रिबन टाइप ब्लेण्डर (Ribbon Type Blender)
- ग्राइण्डर (Grinder)
- छन्नी मशीन (Seive Machine)
उत्पादन विधि:
एक छोटे से खरल में 5-6 ग्राम चॉक में थाइमॉल, मैथोल, कपूर और सैकरीन को अच्छी तरह घोटकर मिला लिया जाता है। शेष घटक को अर्थात् मैगनेशिया और सोपस्टोन पाउडर को बड़े खरल या मशीन में डालकर पीसना आरम्भ करके इसमें थोड़ा-थोड़ा करके सुगन्धियों का मिश्रण मिलाया जाता है। जब घटक आपस में अच्छी तरह मिलकर बारीक पिस जायें तो पाउडर को खरल में से निकालकर शीशियों में पैक कर दिया जाता है।
लिपस्टिक (Lipstick)
सौंदर्य प्रसाधनों में सबसे ज़्यादा बिक्री लिपस्टिक की होती है, अतः इसका स्थान महत्वपूर्ण हो गया है। लिपस्टिक का प्रयोग न केवल सौंदर्य बढ़ाने के लिए होता है, बल्कि ये होंठों को फटने से रोकती है और उन्हें मुलायम रखती है। आजकल इस उद्योग में अच्छा लाभ होता है व साथ-साथ यह कम पूँजी से भी शुरू किया जा सकता हैं लिपस्टिक का वजन लगभग 2 से 3 ग्राम तक होता है। और 250 से 400 बार तक प्रयोग में लाया जा सकता है। मोमों में कुछ मात्रा में तेल में घुलनशील रंग मिलाकर पिघलाकर सांचों में भर लिया जाता है। ठंडा होने पर स्टिक को निकालकर प्लास्टिक एल्यूमीनियम के ट्यूब में फिट कर देते हैं।
वैश्विक सौंदर्य प्रसाधन बाजार 2022 तक $ 429.8 बिलियन बढ़ने की उम्मीद है। पिछले दशक में डिस्पोजेबल आय में काफी वृद्धि हुई है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि, बदलती जीवन शैली, बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण त्वचा की देखभाल के उत्पादों की बढ़ती मांग सौंदर्य प्रसाधन के लिए बाजार की वृद्धि को प्रोत्साहित करती है। प्राकृतिक और जैविक सौंदर्य उत्पादों, विशेष रूप से अमेरिकी और यूरोपीय देशों की ओर वरीयता का बदलाव, सौंदर्य प्रसाधन बाजार के विकास को बढ़ावा देता है।
2019-2024 के दौरान भारत कॉस्मेटिक्स बाजार 6% से अधिक की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है। युवा आबादी की बढ़ती मांग, पश्चिमी संस्कृति, जीवनशैली को अपनाना और सौंदर्य सैलून की बढ़ती संख्या भारत सौंदर्य प्रसाधन बाजार का समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा, प्रति व्यक्ति व्यय में वृद्धि और सौंदर्य प्रसाधन बाजार में व्यक्तिगत उपस्थिति में वृद्धि कुछ अन्य कारक हैं, जो अगले पांच वर्षों में कॉस्मेटिक बाजार की मांग को बढ़ाने के लिए अपेक्षित हैं।
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लिपस्टिक के फार्मूले
संघटन (Ingredients) | मात्रा | |||||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | ||
हनी वैक्स | 20 | 15 | 20 | 15 | 10 | |
स्टियरिन | 10 | 3 | – | – | – | |
ओजोकेराइट | 10 | 10 | – | – | – | |
एनहाइडस लेनोलिन | 10 | 5 | 5 | 5 | 5 | |
पैट्रोलियम जली | 5 | 5 | 5 | 25 | – | |
लीक्विड पैराफिन | 25 | 15 | 10 | 15 | 10 | |
अरण्डी का तेल (रिफाइंड) | 10 | 15 | 30 | – | 33 | |
इयोसीन (रंग) | 2 | 2 | 2 | 2 | 2 | |
लिपस्टिक के लिए रंग:
प्रारम्भ में लिपस्टिकों में केरमाइन रंग का प्रयोग होता था। यह रंग कोचिनील नामक कीड़े को सुखाकर उससे प्राप्त किया जाता था, लेकिन यह रंग काफी मंहगा होता जा रहा था अतः सस्ते कृत्रिम रंजन ढूंढ़े गए। अन्य रंजक इसलिए भी आवश्यक हो गए थे क्योंकि लिपस्टिकों के लगभग एक दर्जन शेड बाजार में प्रचलित हो गए हैं। भारतीय बाजारों में लिपस्टिक के लिए उचित चार-पांच रंजक सरलता से मिल जाते हैं, जो ये हैं – इयोसिन (Eosine), फ्लॉक्सीन (Phlaxine) और इरिथोसीन। इन रंगों में एसिड इयोसिन, जिसका रासायनिक नाम ब्रोमिक एसिड है, बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। यह रंग वैसे देखने में नारंगी का होता है, परन्तु होंठों पर लगाने पर स्वयं ही इसका रंग गहरा लाल हो जाता है। एसिड इयोसिन के अतिरिक्त जिरेनियम रेड, रोहडामाइन तथा टीलू सैफेनाइन भी काफी लोकप्रिय हैं।
सुगन्ध:
लिपस्टिक में सुगन्धि भी अनिवार्य रूप से मिलाई जाती है। सुगन्धि मिलाने से मोमों व अन्य रचकों की प्राकृतिक गन्ध दब जाती है तथा प्रयोग करने वाले को भी सुगन्धि बड़ी प्रिय लगती है। लिपस्टिकों में सुगन्धि ऐसी मिलाई जानी चाहिए जो होठों पर जलन न डालें। इस दृष्टि से गुलाब, हिना, केवड़ा या खस के इत्र अच्छे रहेंगे। सुगन्धि बहुत कम मात्रा में डालनी चाहिए।
अन्य कच्चा माल
- मोम (Wax)
- अरण्डी का तेल (Castor Oil)
- स्टियरिक एसिड (Stearic Acid)
- पेट्रोलेटम (Petrolatum)
- स्पर्मासेटी (Spermaceti)
- लेनोलिन एनहाड्रोस (Lanolin Anhydrous)
मशीन एवं उपकरण
- घोल बनाने का पात्र (Solution Vessel)
- मिक्सिंग मशीन (Mixing Machine)
- मेल्टिंग टैंक (Melting Tank)
- सांचा (Frame)
- भट्टी (Furnace)
बनाने की विधि
इयोसीन अथवा अन्य तेल में घुलशील रंग को अरण्डी के तेल में घोलकर अलग रख लिया जाता है। शेष रचकों (Ingredients) को बाटर बाथ पर पिघलाकर यह रंग घोला हुआ तेल मिलाकर बहुत हल्की स्पीड से मिश्रण को चालाया जाता है। इसी समय इसमें कोई उचित सुगन्धि मिलाई जा सकती है। अब मिश्रण को गन मैटल या पीतल के बने हुए सांचों में भर दिया जाता है। लिपस्टिक कुछ ही मिन्टों में जम जाती है। अब सांचा खोलकर स्टिकें निकाल ली जाती है और इन्हें ट्यूब में लगा दिया जाता है।
बेबी क्रीम (Baby Cream, Lotion)
अवयव | मात्रा % में |
हनी वैक्स | 3.00 |
स्परमसेटी | 3.00 |
ग्लैसरायल मोनोस्टीयरेट | 12.00 |
मिनरल ऑयल (लाइट) | 30.00 |
प्रोपायल पैराबेन | 0.15 |
मिथायल पैराबेन | 0.15 |
ग्लिसरॉल | 8.00 |
पानी | 43.60 |
सुगन्धि | 0.10 |
बनाने की विधि:
हनी वैक्स, स्परमसेटी, ग्लैसरायल मोनोस्टीयरेट, मिनरल ऑयल (लाइट) और प्रोपायल पैराबेन को एक बर्तन में वाटर बाथ पर पिघला लेना चाहिए। एक अन्य बर्तन मिथायल पैराबेन, ग्लिसरॉल और पानी को घोलकर इस घोल को वाटर बाथ पर गरम करके डाला जाता है। इस घोल को उपरोक्त वसाओं को पिघले हुए मिश्रण में धार बांधकर डालाा जाता है, और हाई स्पीड स्टिरर से इसको तब तक चलाया जाता है जब तक मिश्रण ठंडा न हो जाय। अंत में सुगन्धि मिलाकर अच्छी तरह चलाकर शीशियों में पैक कर लिया जाता है।
लॉलीपॉप (Lollipop)
यह एक प्रकार की सींक लगी हुई अर्थात् पतली सी लकड़ी को डंडी लगी हुई मिठाई जिसको कि समान्यतयाः बच्चों को चूसते हुए देखा जा सकता है, लॉली पॉप के नाम से पुकारते हैं। बच्चों की अधिक रुचि से आजकल यह लॉली पॉप काफी अधिक तादाद में बिक रही है, और इसकी मांग भी काफी अधिक बढ़ती जा रही है।
लाली पॉप बनाने के लिए जो फार्मूला प्रयोग में लाया जाता है, वह इस प्रकार है:
1. चीनी 16 किलोग्राम |
2. ग्लूकोज 4 किलोग्राम |
3. पानी 6 लीटर |
4. साईट्रिक एसिड 50 ग्राम |
5. पीला रंग 15 ग्राम |
6. ऐसैन्स (नींबू) प्रमाण से |
लॉली पॉप बनाने की विधि:
इसके लिये पहले चीनी, पानी व ग्लूकोज को तांबे के किसी बर्तन में उपरोक्त फार्मूले के अनुसार तोल कर मिला लिया जाता है। फिर इस घोल को गरम किया जाता है। जब तक कि चीनी व ग्लूकोज पानी में घुल न जाएं, इस बीच इस घोल को चलाते रहते हैं। जब यह मिश्रण उबलने लगे तो इसको कुछ समय तक ढक कर रख दिया जाता है। इस चाशनी में एक थर्मामीटर लटका देते हैं और घोल को 1650 सेंटीग्रेड तापमान तक उबलने दते हैं। चाशनी बन जाने के बाद इसको चिकनाई लगे पत्थर पर पलट दिया जाता है और इसमें चमक वाला पीला रंग मिलाकर ठंडा होने के लिए कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर इसके किनारों को पलट कर इस पर साइट्रिक एसिड व नींबू का ऐसैन्स छिड़क देते हैं और इसकी उलटा-पलटी करते रहते हैं। इस प्रकार चाशनी तैयार हो जाती है।
जब लॉली पॉप हाथ से बनानी हो तो इस गाढ़ी चाशनी को रबर की मोटी शीट में लपेट लेते हैं और इसका एक सिरा खुला रखा जाता है थोड़ी-थोड़ी चाशनी नोच-नोच कर इसको लॉली पॉप की डाई में रखता जाता है और साथ ही साथ बांस की तीली रखकर मशीन का हैन्डिल दबाता जाता है। इस प्रकार लॉली पॉप तैयार होती जाती है। साथ ही साथ इसको सफेद कागज में लपेटते जाते हैं। अधिक आर्डर के लिए लॉली पॉप ऑटोमैटिक मशीन से भी बनाई जाती है।
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