क्या आप अपना कोई नया व्यवसाय, व्यापार, कारोबार, स्वरोजगार, छोटा बिजनेस, उद्योग, शुरु करना चाहते हैं ?

सपने देखना और उनको पाने का प्रयास करना है तो तय मानिए आपके पास नए विचारों का खजाना होना ही चाहिए। अगर आप कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं और उसे आगे बढ़ना चाहते है तो नए-नए आइडियाज को आजमाना होगा। बिजनेस शुरू करने के लिए बने बनाए आइडिया के बजाय खुद के कच्चे-पक्के आइडिया पर अगर आप विचार करते हैं तो शायद भीड़ से अलग, कुछ खास कर गुजरने की संभावना अधिक हो सकती है।

शुरू किया गया नया उद्यम आपका अपना विचार है, आपका अपना कारोबार है। इसलिए इस कारोबार के किसी भी पहलू से जुड़ने के लिए आप स्वतंत्र हैं।

लघु उद्योग (छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ) वे होती है जो मध्यम स्तर के विनियोग की सहायता से उत्पादन प्रारम्भ करती हैं। इन इकाइयों मे श्रम शक्ति की मात्रा भी कम होती है और सापेक्षिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं का कम मात्रा में उत्पादान किया जाता है। ये बड़े पैमाने के उद्योगो से पूंजी की मात्रा, रोजगार, उत्पादन एवं प्रबन्ध, आगतों एवं निर्गतो के प्रवाह इत्यादि की दृष्टि से भिन्न प्रकार की होती है। ये कुटीर उद्योगोंसे भी इन आधारों पर भिन्न होती हैं- उत्पादन में यंत्रीकरण की मात्रा, मजदूरी पर लगाये गये श्रमिकों एवं परिवारिक श्रमिकों के अनुपात, बाजार का भौगोलिक आकार, विनियोजित पूंजी इत्यादि।

सूक्ष्म, लघु एंव मध्यम उद्योग देश की सम्पूर्ण औद्योगिक अर्थव्यस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते है। यह अनुमान किया जाता है कि मूल्य के अर्थ में यह क्षेत्र निमार्ण की दृष्टि से 39% एवं भारत के कुल निर्यात के 33% के लिए जिम्मेदार है। इस क्षेत्र का लाभ यह है कि इसकी रोजगार क्षमता न्यूनतम पूंजी लागत पर है।

हममें से अधिकांश ने-कभी न कभी- अपना व्यवसाय आरंभ करने का सपना देखा हॆ। ऒर हममें से कुछ ने यह भी सोचा होगा कि क्या उद्यमिता उनके लिये उपयुक्त रहेगी। प्रत्येक व्यक्ति की अभिलाषा होती है कि वह जो भी कार्य करे वह उसकी रूचि के अनुरूप हो तथा उसमें उसे सफलता मिले। बहुत ही कठिन है यह जानना कि कौन सा कार्य हमारे अनूकुल होगा। जिसमे हमें सफलता मिले। प्रश्नो की एक श्रृंखला आपको यह निर्णय लेने में सहायता करेगी कि आपके व्यक्तिगत उद्देश्य क्या हॆं तथा क्या उद्यमिता आपके लिये उपयुक्त हॆ।

एक बार जब व्यवसायी यह सोच लें कि उन्हें कौन सा व्यवसाय करना है, तो इसके बाद यह बहुत जरूरी है कि उसके लिए उचित ढ़ग से व्यवसायिक योजना भी की जाए। एक सुव्यवस्थित प्रलेखित व्यवसाय योजना उस कंपनी का उचित मूल्यांकन करने में मदद करती है जिसे आप शुरु करने जा रहे हैं।

करियर में संघर्ष चलते रहते हैं। नौकरी मिलना या जाना आज आम बात है। ऐसे में अपना व्यवसाय शुरू करने की दिशा में लोग अक्सर ध्यान देते हैं। कुछ बुनियादी उपाय हैं, जिन्हें अपना कर व्यवसाय की शुरुआत हो सकती है।

अगर आप किसी भी बिजनेस की शुरुआत कर रहे हैं तो सबसे पहले उसके बारे में अच्छे से जान लें। उसकी हर तरह की जानकारी जुटा लें ताकि आपको आगे किसी भी तरह का नुकसान ना हो।

प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग कार्य करने की क्षमता होती है। आपके विचार की सफलता के लिए उत्साह अत्यंत महत्वपूर्ण है। आखिर अगर आप अपना खुद का कारोबार शुरू करने या अपने विचार को आगे बढ़ाने की बात सोचकर उत्साहित नहीं होते तो फिर यह आपके मौजूदा काम से भला किस तरह अलग होगा। आपके उत्साह से ही दूसरे लोग आपके विचार / कारोबार का नोटिस लेंगे।

केवल लाभदायक व्यतवसाय ही जीवित रह सकता है । यदि आपको किसी गतिविधि में खास रुचि है और उस गतिविधि से संबंधित आपके पास कुछ योजनाऍं हैं, तो यह आवश्यधक हो जाता है कि उन योजनाओं की व्यावसायिक संभावनाओं का आकलन किया जाए । अपने विचारों को स्थायी व्ययवसाय में बदलने के लिए और उसकी जीवंतता बनाए रखने के लिए कुछ प्रश्नों  का उत्तर अपेक्षित हैं जैसेः- कि क्या  आपके उत्पाद और सेवाओं की पर्याप्त  मांग है? क्या आप एक आवर्ती आय अर्जित करेंगे ? और क्या  बड़े पैमाने की किफायतें मौजूद हैं? क्या  आपके विचारों को निरंतर व्यरवसाय में बदलने की सक्षमता है?

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