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Wednesday, October 4, 2017

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डबल/रोटी निर्माण को बेकरी उद्योग कहा जाता है। भारत में इस उद्योग का खाद्य संसाधन उद्योग के औद्योगिक क्रियाकलापों में महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उद्योग बड़े-बड़े शहरों, कस्बों तथा गाँवों में भी बड़ी संख्या में फैल चुका है। आज के समय में डबल रोटी बहुत ही लोकप्रिय नाश्ता हो गया है। इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन बहुत तेजी से बढ़ रहा है, खास करके बच्चों के लिए तो यह एक बहुत उपयुक्त खाद्य पदार्थ होता है क्योंकि यह खाने में स्वादिष्ट एवं सुपाच्य होता है। इसके अतिरिक्त जिस क्षेत्रा में गेहूं का आटा या मैदा उपभोग करने का प्रचलन नहीं है, वहां के लिए डबल रोटी या टोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। डबल रोटी-टोस्ट एक वर्तमान समय में देश में पौष्टिक भोजन की आपूर्ति की ओर लोगों में काफी जागरुकता उत्पन्न हो रही है, जिससे बेकरी उद्योग का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह उद्योग देश के सामाजिक उत्थान के अलावा आर्थिक उत्थान में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। अतः यह उद्योग देश की गरीबी दूर करने तथा अच्छी संस्था में लोगों को रोजगार मुहैया करने में काफी हद तक सहायक हो सकता है। इस उद्योग की शुरूआत कम पूंजी लगा कर की जा सकती है।

मार्किट सर्वेक्षण

डबल रोटी मूलतः सामान्य उपभोग की वस्तु है। सामाजिक जागरूकता तथा रहन-सहन के स्तर में वृद्धि होने के साथ तैयार खाद्य पदार्थों की मांग में वृद्धि होने लगी है। वर्तमान में ग्रामीण विकास के अन्तर किए जा रहे ग्रामीण उद्योगों में बेकरी उद्योग भी प्रमुख हैं तथा भविष्य में इसकी मांग कई गुना बढ़ने की संभावना है। गाँवों तथा पिछड़े क्षेत्रों में बेकरी उत्पादन के विकास की काफी सम्भावना है क्योंकि गाँवों में ही पैदा होने वाला गेहूँ मुख्य रूप से डबल रोटी तथा अन्य बेकरी उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है। इसी कारण सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में वहाँ उत्पादित होने वाले कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को विशेष सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। जिससे लघु व कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।

भारत बेकरी उत्पादों के लिए एक प्रमुख विनिर्माण घर है और संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन (एनपीसीएसए 2013) के बाद तीसरा सबसे बड़ा बिस्कुट निर्माण देश है।

भारतीय बेकरी सेक्टर में ब्रेड, बिस्कुट, केक जैसे बड़े खाद्य श्रेणियों में से कुछ शामिल हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में 17,000 करोड़ रुपये और अगले 3.4 वर्षों में 13.15 फीसदी के असाधारण दर से बढ़ने की उम्मीद है।

बेकरी भारतीय प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग में तीसरी अग्रणी आय सृजन क्षेत्र है। बढ़ती शहरीकरण और डिस्पोजेबल आय प्रमुख कारक हैं जो बेकरी उत्पादों की मांग को चलाते हैं।

देश में 85,000 से अधिक बेकरी इकाइयां हैं, जिनमें छोटे इकाइयों ;स्थानीय ब्रेड बेकिंग इकाइयां और पड़ोसी बेकरियां हैं, जो कुल इकाइयों में करीब 65% हैं।

कच्चा माल

टोस्ट/डबल रोटी उत्पादन के लिए आवश्यक मुख्य कच्चा माल गेहूं का आटा, मैदा, लिविंग एजेंट जैसे बेकर इस्ट, ब्रान, लैक्टि एसिड, साधारण नमक, पानी, कण्डेन्स्ड मिल्क, खाद्य मिल्क पावडर, वनस्पति तेल, रिफाइंड खाद्य तेल, बटर, घी, चीनी, शहद, द्रवग्लूकोज, स्टार्च, शकरकंदी का आटा, मूंगफली का आटा, विटामिन, ग्लिसरीन, चूना पानी, जल इत्यादि हैं इसके अलावा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कुछ रासायनिक पदार्थ जैसे; कैल्शियम फास्फेट कैल्श्यिम कार्बोनेट, एसिटिक एसिड या लैक्टिक एसिड, बाइनगर, सोडियम डाइएसिटेट तथा सोडियम पाइरोफास्फेट इत्यादि का उपयोग किया जाता है।

निर्माण प्रक्रिया

डबल रोटी में प्रयोग किए जाने वाले उपरोक्त सभी पदार्थों को एक साथ गूंथने वाली मशीन में डालकर मिश्रण को तैयार किया जाता है। सभी घटकों को गूंथकर डफ तैयार किया जाता है। गूंथे हुए डफ में क्रीम डालकर फरमेन्टेशन के लिए छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने के बाद सामग्री कटने के लिए तैयार हो जाती है। और इसे तैयार की जाने वाली डबल रोटी के आकार का काटा जाता है। अब टुकड़ों में काटे गए डफ को पेन में रखा जाता है। जब डफ में निश्चित उठान आ जाता है तो उसे अनुमानित समय तक सेंका जाता है। फिर सेंके हुए डफ को पर्याप्त रूप से ठण्डा किया जाता है। फिर उसके छोटे-छोटे स्लाइस काटे जाते हैं और रैपर में पैक कर दिया जाता है। 

 

आय-व्यय योजना (Cost Estimation) वार्षिक: बेकरी उद्योग

            1.         उत्पादन क्षमता                                                          1000 Pkts/day (400 gm size)

            2.         कुल भूमि (Total Land)                                                   750 Sq.Mt.

            3.         निर्मित भूमि (Build up Area)                                           450 Sq.Mt.

            4.         कुल कर्मचारियों की संख्या(No. of Emplyoees)14

            5.         इमारत (Building)                                                             Rented

            6.         मशीन और उपकरण (Machinery & Euipment)                 11.17 lakh

            7.         कुल अचल पूंजी लागत (Total Fixed Capital)                  20.67 lakh

            8.         कार्यशील पूंजी मार्जिन (working Capital Margin)             1.77 lakh

            9.         परियोजना लागत (Project Cost)                                   22.44 lakh

            10.       कुल प्राप्ति (आय) (Total Income)                                    66 lakh

            11.       लाभ और कुल-पूंजी निवेश का अनुपात (Profit & Total Capital Investment Ratio)                                                                                                                                                    17.20%

            12.       ब्रेक इवन पॉइंट (Break & Even Point)                              74.71%

 

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