Saturday, September 16, 2017
कुटीर उद्योग वे उद्योग हैंए जिनका एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा पूर्णरूप से अथवा आंशिक रूप से संचालन किया जाता है। भारत के द्वितीय योजना आयोग द्वारा इसी परिभाषा को मान्यता प्रदान की गयी है। कुटीर उद्योग इस प्रकार के संगठन को कहते हैं जिसके अन्तर्गत स्वतन्त्र उत्पादनकर्ता अपनी पूंजी लगाता है और अपने श्रम के कुल उत्पादन का स्वयं अधिकारी होता है। उद्योग का चुनाव और सुझावः किसी भी नये उद्योग को प्रारम्भ करन से पहले निम्नलिखित सुझावों का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए क्योंकि नये उद्योग को लगाने के लिए उसकी कई महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं का ज्ञान जरूरी है। उद्योग की सपफलता, प्रारम्भ किये जाने वाले उद्योग और उसके कई कार्यों आदि की समयानुसार पूर्ति करने पर निर्भर करता है। 1 उद्योग में नयी उत्पादन की जाने वाली वस्तु क्या है, कितनी पूंजी आवश्यक है? 2 अपने नये उद्योग की पूर्ण जानकारी, उद्योग में नई बनाई जाने वाली वस्तु के बारे में सामान्य और टैक्निकल ज्ञान। 3 कच्चे माल की उपलब्धि एवं क्वालिटी। 4 निर्मित वस्तु व माल का मार्केट तथा बिक्री साधन। 5 उत्पादन की क्वालिटी मार्केट में उत्तम बनाना। 6 उत्पाद का मार्केट में काॅम्पीटीशन का अध्ययन। 7 उत्तम क्वालिटी उत्पाद के लिए पर्याप्त पूंजी की व्यवस्था। लघु उद्यम के स्थापना की प्रक्रिया को तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
1. प्रथम चरण के अंतर्गत उद्यमी कोई इकाई विशेष स्थापित करने का निर्णय लेता है तथा उसकी अनुमानित योजना तैयार करता है। 2. द्वितीय चरण के अंतर्गत वह इकाई की स्थापना हेतु आवश्यक कदम उठाता है तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा चाही गई शर्तें ;औपचारिकताएंद्ध पूरी करता है तथा 3. तृतीय चरण में इकाई को यथार्थ रूप देने हेतु कार्य करता है तथा इकाई स्थापित करता है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड 1955 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सार्वजनिक उपक्रम है। यह भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह देश में सूक्षम और स्माॅल्स स्तर के उद्योगों और उद्यमों को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए स्थापित किया गया था। यह मूल रूप से एक भारतीय सरकारी एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था। जो बाद में पूर्ण स्वामित्व वाली सरकार निगम में परिवर्तित हो गया। भारत के छोटे और उभरते उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने सरकारी एजेंसी की स्थापना करने का निर्णय लिया जो लघु उद्योगों को सहायता प्रदान कर सकते हैं।
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